दोहे - कबीर, तुलसी, रहीम और बिहारी

Dohe Hindi

1.0 par Mahesh Prajapati
Jun 5, 2020

À propos de दोहे - कबीर, तुलसी, रहीम और बिहारी

Dohe populaire en hindi de Kabirdas, Tulsidas, Rahim et Kavi Bihari

कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया।

संत कबीर दास के दोहे गागर में सागर के समान हैं। उनका गूढ़ अर्थ समझ कर यदि कोई उन्हें अपने जीवन में उतारता है तो उसे निश्चय ही मन की शांति के साथ-साथ ईश्वर की प्राप्ति होगी।

गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया।

अपने १२६ वर्ष के दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदास ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित कालजयी ग्रन्थों की रचनाएँ कीं - रामललानहछू, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञाप्रश्न, जानकी-मंगल, रामचरितमानस, सतसई, पार्वती-मंगल, गीतावली, विनय-पत्रिका, कृष्ण-गीतावली, बरवै रामायण, दोहावली और कवितावली।

इनमें से रामचरितमानस, विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली जैसी कृतियों के विषय में किसी कवि की यह आर्षवाणी सटीक प्रतीत होती है - पश्य देवस्य काव्यं, न मृणोति न जीर्यति। अर्थात देवपुरुषों का काव्य देखिये जो न मरता न पुराना होता है।

रहीम दास का पूरा नाम अब्दुल रहीम खान-ए-खाना है । यह वही रहीम हैं जिनके हिंदी के दोहे आपने कभी न कभी पढ़े ही होगे। हिंदी साहित्य में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा हैं. रहीम कलाप्रेमी, कवि और साहित्यकार थे ।रहीम मुगल बादशाह अकबर के दरबार में उनके नवरत्नों में से एक गिने जाते थे । वे अपने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के अंशो को उदाहरण के रूप में उपयोग करते थे। जो भारतीय संस्कृति की झलक को पेश करता है। पंजाब में उनके नाम पर एक गाँव का नाम खानखाना रखा गया है।

बिहारीलाल चौबे या बिहारी हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि थे।

बिहारी की एकमात्र रचना सतसई (सप्तशती) है। यह मुक्तक काव्य है। इसमें 719 दोहे संकलित हैं। कतिपय दोहे संदिग्ध भी माने जाते हैं। सभी दोहे सुंदर और सराहनीय हैं तथापि तनिक विचारपूर्वक बारीकी से देखने पर लगभग 200 दोहे अति उत्कृष्ट ठहरते हैं।

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संत कबीर के दोहे और उनके अर्थ

गोस्वामी तुलसीदास के दोहे और उनके अर्थ

रहीम दास के दोहे और उनके अर्थ

बिहारीलाल के दोहे और उनके अर्थ

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