Him Himwanti - Hindi Weekly E-newspaper


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Sep 10, 2019 Anciennes versions

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Him Himwanti - Hindi e-journal hebdomadaire

संघर्ष भी खूब झेलें हैं हिमवन्ती ने

1970 के दशक की बात है जब मैं देहरादून में शिक्षा ग्रहण कर रहा था। मेरे एक मित्र जिन्हें मैं पत्रकारिता में अपने गुरू का दर्जा देता हूॅं, ने मुझ में पत्रकारिता के कीटाणु डाल दिये।एक दिन हम हिपियों की बस्ती में गये जहाॅं मशहूर फिल्म जिसमें जीनतअमान व सदा बहार देवानन्द की एक फिल्म की शूटिंग भी हुई थी। उस बस्ती में युवक/युवतियों को दम मारो दम का साक्षात दर्शन भी हुआ। बड़ोला जी ने मुझे एक डायरी दी और एक पैन थमा दिया और बोले कि भाई जो कुछ देख रहे हो, उस इस डायरी में उतार लो, कभी काम आएगा। मैंने जो कुछ देखा, उसे शब्दों के माध्यम से उस डायरी में उतार लिया, जो बरसों मैंने सहेज कर भी रखी। वापस जब हम अपने घर सहारनपुर आए तो बड़ोला जी ने मुझे कहा कि मैं एक समाचार पत्र निकालना चाहता हूॅं और बहुगुणा जी से सलाह करने के लिए देहरादून चलना है।

श्री हेमवती नंददन बहुगुणा देश के कदाववर नेता थे और ऐसे कद्दावर नेता से मिलने का भी मेरा पहला ही मौका था। हमारी बात को बहु्रगुणा जी ने बड़े ध्यान से सुना और बडोला जी जिन्हें वह आशुतोष नाम से सम्बोधित करते थे, से कहा कि हिमवनती नाम रख लो। मेरी तो समझ में ही नहीं आया कि हिमवन्ती का क्या अर्थ है लेकिन बड़ोला जी ने उनकी बात को रखते हुए भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक से हिमवन्ती नाम से एक टाइटल ले लिया और प्रकाशन स्थल उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर से होने लगा। बड़ोला जी ने मुझे इस समाचार पत्र का विशेष प्रतिनिधि बनाया। इस तरह मेरा पत्रकारिता में पहला जुडाव हुआ। यद्यपि में पूर्णकालिक पत्रकार नही था लेकिन छोटा मोटा धंधा करता था। साथ ही पत्रकारिता में रूचि भी रखता था लेकिन मेरा मानना था कि पत्रकारिता को कभी भी पेशे के रूप में नहीह अपनाऊॅंगा। और ईश्वर ने जैसा मैंने मांगा था वेसा मैंने कर दिखयाा। आज पत्रकारिता से जुड़े मेरे 48 वर्ष पूरे हो गये हैं लेकिन मैंने कभी भी पत्रकारिता को पेशा समझकर कार्य नहीं किया। उसके बाद मैं हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में आ गया और इसे ही मैंने अपनी कर्मस्थली के रूप में अपना लिया। एक सफल ठेकेदार के रूप में कृषि विभाग व सिंचाई एचं जनस्वास्थ्य विभाग आदि विभागों में ठेकेदारी का काम किया और एक सफल ठेकेदार के रूप में अपनी पहचान बना ली है। लेकिन मेरी मंजिल कुछ ओर थी। पत्रकारिता का कीड़़ा बार-बार मुझे कचैटता था और मैं समय-समय पर सहारनपुर जाकर पत्रकारिता के कार्यक्रमों में भाग लेता था और हिमाचल से खबरें भी हिमवन्ती सहारनपुर के लिए भेजता था।

वर्ष 1995 में मैंने बड़ोला जी से सलाह मशविरा किया और पांवटा से भी इस समाचार पत्र को प्रकाशित करने की अनुमति ली और उन्होंने मुझे सहर्ष इस समाचार पत्र के लिए स्वीकृत दे दी और हिमवन्ती का प्रकाशन सहारनपुर के साथ-साथ पांवटा से भी होने लगा। लेकिन हिमवन्ती नाम से कुछ तकनीकी दिक्कतें आई और फिर 1996 में हमने हिम-हिमवन्ती नाम का टाईटल लिया और हिम-हिमवन्ती पाक्षिक का प्रकाशन पांवटा से करने लगे। इसके पहले अंक का विमोचन तत्कालीन विधायक सरदार रतन सिंह, शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चैहान व रेणुका के विधायक प्रेम सिंह के हाथों हुआ। सफर तो अभी शुरू ही हुआ था कि वर्ष 1996 में हमने हिमवन्ती का एक भव्य विशेषाॅंक भी निकाला जो आज भी संगृहिय है। इस विशेषाॅंक का विमोचन तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के हाथों हुआ था। 1997 में हिम-हिमवन्ती नाम से जो समाचार पत्र शुरू हुआ था जिसका विमोचल भी तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के हाथों हुआ था, आज 22 वर्षों से निरन्तर प्रकाशित हो रहा है और सरकारों की विकासात्मक गतिविधियों के साथ-साथ आम जनता की समस्याओं को भी जुझारू तरीके से उठाता चला आ रहा है। इसलिए वह मामला खटाई में भी पड़ गया। जो सन् 2017 में जब हिमाचल सरकार ने राज्य स्तरीय मान्यता के लिए नये मापदंड बनाए तो जिला सिरमौर से राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त पत्रकार बनने का गौरव भी मुझे ही प्राप्त हुआ।

मेरा 22 वर्षों का समाचार पत्र प्रकाशित करने का यही अनुभव है कि पीत पत्रकारिता से दूर रहकर भी पत्र अपना मुकाम पा सकता है और इसके लिए मैं अपने शुभचिन्तकों, पाठकों, लेखकों, वितरकों व सम्पादन कार्य में लगे मेरे सहयोगी व कर्मचारियों का इस समाचार पत्र को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग के लिए कृतज्ञता अवश्य प्रकट करना चाहूॅंगा। साथ ही पाठकों को विश्वास दिलाता हूॅं कि पिछले 22 वर्षों से हम निडर होकर जो अपना दायित्व निभाते आ रहे हैं और पत्रकारिता के मूल्यों को संरक्षित करते आ रहे हैं वह सफर यूं ही जारी रहेगा। केवल पाठकों का आशीर्वाद चाहता हूॅं।

- अरविन्द गोयल

(प्रधान संपादक)

हिमवन्ती मीडिया

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